भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा(IMEC) परियोजना

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा(IMEC) परियोजना
GS-2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध
(यूपीएससी/राज्य पीएससी)
16/05/2024
स्रोत: बिजनेस लाइन
न्यूज़ में क्यों:
भारतीय विदेश मंत्रालय के हालिया बयानों के अनुसार, पश्चिम एशिया में मौजूदा संकट के कारण भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) परियोजना के कार्यान्वयन में देरी "चिंता" का विषय है।
- वर्तमान में, भारत IMEC परियोजना के भारत-यूएई चरण पर काम शुरू करने के विकल्प पर विचार कर रहा लेकिन इजराइल और वेस्ट बैंक के मुद्दे में संलिप्त सऊदी अरब की भूमिका इस परियोजना में संदिग्ध है। हालाँकि, इस समझौते के सभी पक्षों ने इसके प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।
IMEC के बारे में:
- भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) एक नियोजित आर्थिक गलियारा है।
- 4,800 किमी लंबी इस परियोजना की घोषणा 2023 में जी20 शिखर सम्मेलन के अवसर पर की गई थी।
- 10 सितंबर 2023 को भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ की सरकारों द्वारा इस परियोजना हेतु हस्ताक्षर के साथ सहमति व्यक्त की गयी थी।
- यह गलियारा भारत से संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन, इज़राइल और ग्रीस के माध्यम से यूरोप तक एक प्रस्तावित मार्ग है।
- इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 20 अरब डॉलर तक हो सकती है
- आईएमईसी(IMEC) में दो अलग-अलग गलियारे शामिल होंगे:
- भारत को पश्चिम एशिया/मध्य पूर्व से जोड़ने वाला पूर्वी गलियारा
- पश्चिम एशिया/मध्य पूर्व को यूरोप से जोड़ने वाला उत्तरी गलियारा।
- बंदरगाह जो आईएमईसी का हिस्सा हैं:
- भारत: मुंद्रा (गुजरात), कांडला (गुजरात), और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (नवी मुंबई) में बंदरगाह।
- यूरोप: ग्रीस में पीरियस, दक्षिणी इटली में मेसिना और फ्रांस में मार्सिले।
- मध्य पूर्व: बंदरगाहों में संयुक्त अरब अमीरात में फ़ुजैरा, जेबेल अली और अबू धाबी, साथ ही सऊदी अरब में दम्मम और रास अल खैर बंदरगाह शामिल हैं।
- इज़राइल: हाइफ़ा बंदरगाह।
- रेलवे लाइन: रेलवे लाइन सऊदी अरब (घुवाईफात और हराद) और जॉर्डन से गुजरते हुए संयुक्त अरब अमीरात में फुजैराह बंदरगाह को इज़राइल में हाइफ़ा बंदरगाह से जोड़ेगी।
उद्देश्य:
- इस परियोजना को बनाने का उद्देश्य एशिया, फारस की खाड़ी और यूरोप के बीच कनेक्टिविटी और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देकर आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
- रेल और शिपिंग नेटवर्क के माध्यम से यूरोप और एशिया के बीच परिवहन और संचार लिंक को मजबूत करना ताकि एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व का एकीकरण किया जा सके।
- परिवहन दक्षता बढ़ाना, लागत कम करना, रोज़गार उत्पन्न करना और कार्बन उत्सर्जन को कम करना।
IMEC का महत्व:
आर्थिक विकास:
- एशिया, पश्चिम एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप को बेहतर कनेक्टिविटी और आर्थिक एकीकरण के माध्यम से जोड़कर, गलियारे का उद्देश्य क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
कनेक्टिविटी:
- गलियारे में एक रेल लाइन शामिल होगी, जो पूरा होने पर, एक विश्वसनीय और लागत प्रभावी सीमा-पार जहाज-से-रेल पारगमन नेटवर्क प्रदान करेगी।
- यह रेल लाइन दक्षिण पूर्व एशिया से भारत के माध्यम से पश्चिम एशिया/मध्य पूर्व और यूरोप तक वस्तुओं और सेवाओं के ट्रांस-शिपमेंट को बढ़ाने वाले मौजूदा मल्टी-मॉडल परिवहन मार्गों को पूरक बनाएगी।
पर्यावरण-अनुकूल बुनियादी ढाँचा:
- यह पर्यावरण के अनुकूल बुनियादी ढाँचे के विकास पर जोर देता है। यह स्वेज नहर से होकर जाने वाले वर्तमान व्यापार मार्ग के खिलाफ प्रतिस्पर्धा का वातावरण तैयार करेगी।
परिवर्तनकारी एकीकरण:
- इसका उद्देश्य दक्षता बढ़ाना, लागत कम करना, क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करना, व्यापार पहुंच बढ़ाना, आर्थिक सहयोग बढ़ाना, नौकरियां पैदा करना और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करना है, जिसके परिणामस्वरूप एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व (पश्चिम एशिया) का परिवर्तनकारी एकीकरण होगा।
- इस परियोजना को चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के जवाब के रूप में देखा जाता है।
चुनौतियां:
- इज़राइल और अरब देशों के बीच व्यापक व्यापार और रणनीतिक संबंधों की दीर्घकालिक प्रवृत्ति, जिसे अब्राहम समझौते द्वारा समर्थित किया गया था, को गाजा युद्ध के कारण झटका लगेगा।
- सऊदी में अल हदीथा को इज़राइल में हाइफ़ा से जोड़ना आईएमईसी का मूल है लेकिन अब यह चुनौतीपूर्ण होने जा रहा है।
- क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों ने अन्य भागीदारों को परियोजना में निवेश करने के लिए अनिच्छुक बना दिया है।
- मध्य पूर्व में अस्थिरता ने उस परियोजना को घातक झटका दिया है जिसका उद्देश्य व्यापार में तेजी लाना, बंदरगाह लागत कम करना और भारत की राष्ट्रीय रसद नीति में सहायता करना था।
- इस परियोजना में देरी अरब प्रायद्वीप और यूरोप के साथ संबंधों को गहरा करने की भारत की आकांक्षाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
- चल रहे इज़राइल-हमास युद्ध के कारण परियोजना में देरी हुई है। इस मार्ग का उपयोग वर्तमान में हौथी नाकाबंदी को बायपास करने के लिए किया जा रहा है।
आगे की राह:
- कॉरिडोर के निर्बाध संचालन के लिए विभिन्न देशों के मध्य तकनीकी अनुकूलता एवं मानकीकरण प्राप्त करना आवश्यक है।
- इस कॉरिडोर के सुचारू कार्यान्वयन के लिए भागीदार देशों के भू-राजनीतिक हितों के बीच समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव संबंधी चिंताओं का समाधान करना, धारणीयता सुनिश्चित करना और निर्माण व संचालन में हरित तथा पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं का पालन करना इस परियोजना के प्रमुख पहलू हैं।
- कार्गो और बुनियादी ढाँचे को संभावित खतरों, चोरी व अन्य सुरक्षा जोखिमों से सुरक्षित करने के लिए मज़बूत सुरक्षा उपायों को लागू करना आवश्यक है।
- इस परियोजना में भाग लेने वाले देशों के भू-राजनीतिक हितों को समायोजित करने और संभावित राजनीतिक संवेदनशीलताओं को संबोधित करने में एक नाजुक संतुलन बनाकर भू-राजनीतिक चिंताओं को प्रबंधित करने की आवश्यकता है।
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मुख्य परीक्षा प्रश्न:
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा(IMEC) परियोजना के महत्त्व और चुनौतियों पर प्रकाश डालिए।