Implications of India-Bangladesh cooperation in capacity building of civil servants

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सिविल सेवकों की क्षमता निर्माण में भारत-बांग्लादेश सहयोग के निहितार्थ

GS-2: अंतरराष्ट्रीय संबंध

(IAS/UPPCS)

18/05/2024

स्रोत: PIB

न्यूज़ में क्यों:

हाल ही में, भारत सरकार ने 2025 से 2030 तक के लिए 1500 बांग्लादेशी अधिकारियों को प्रशिक्षित करने और उनके क्षमता निर्माण करने के समझौता ज्ञापन (MoU) को नवीनीकृत करने के लिए बांग्लादेशी सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

  • इस समझौते पर भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) और बांग्लादेश सरकार के बांग्लादेशी लोक प्रशासन मंत्रालय द्वारा हस्ताक्षर किए गए।
  • बांग्लादेश के 4 सदस्यीय डीएआरपीजी प्रतिनिधिमंडल की 3 दिवसीय (28-30 अप्रैल 2024) यात्रा के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। भारतीय दल का यह दौरा, क्षेत्रीय प्रशासन में बांग्लादेश के सिविल सेवकों के मध्य-कैरियर क्षमता-निर्माण कार्यक्रमों पर केंद्रित था।
  • भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व डीएआरपीजी के सचिव वी. श्रीनिवास ने किया।

सिविल सेवकों की क्षमता निर्माण में भारत बांग्लादेश सहयोग:

  • भारत और बांग्लादेश के बीच अच्छे रिश्ते हैं। बांग्लादेशी प्रशासनिकअधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए 2014 में, भारत के राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) और बांग्लादेश लोक प्रशासन मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
  • तब से, एनसीजीजी ने बांग्लादेश के  प्रशासनिक अधिकारियों  के लिए क्षमता-निर्माण कार्यक्रम संचालित करने में सहयोग किया है।
  • एमओयू को समय-समय पर नवीनीकृत किया गया है, और वर्तमान एमओयू 2025 में समाप्त हो जाएगा। नवीनतम समझौते ने एमओयू को पांच साल और बढ़ाकर 2030 तक कर दिया है।
  • वी. श्रीनिवासन ने भविष्य के लिए बांग्लादेश सिविल सेवा के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के संचालन के माध्यम से विजन बांग्लादेश@2041 और स्मार्ट बांग्लादेश को पूरा करने में सहयोग करने की भारत सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।
  • सुशासन के लिए राष्ट्रीय केंद्र परियोजना प्रबंधन, सार्वजनिक खरीद, नीली अर्थव्यवस्था, खाद्य प्रसंस्करण आदि जैसे शासन के नए प्रतिमानों को कवर करते हुए मध्य प्रबंधन, वरिष्ठ प्रबंधन और संकाय विकास के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करता है।

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG)

  • प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग प्रशासनिक सुधारों के साथ-साथ सामान्य रूप से राज्यों और विशेष रूप से केंद्र सरकार की एजेंसियों से संबंधित सार्वजनिक शिकायतों के निवारण के लिए भारत सरकार की नोडल एजेंसी है।
  • विभाग, सार्वजनिक सेवा सुधारों को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान और सहयोग के क्षेत्र में भी गतिविधियाँ चलाता है।
  • विभाग केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

निहितार्थ:

  • भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक और आर्थिक सहयोग में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारत ने अगले पांच वर्षों के लिए बांग्लादेश के प्रशासनिक अधिकारियों को प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम दोनों देशों के बीच मित्रता और सहयोग को बढ़ाने के कई निहितार्थ हैं:

प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्देश्य:

  • क्षमतावर्धन (Capacity Building): इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश के प्रशासनिक अधिकारियों की क्षमताओं को बढ़ाना और उन्हें आधुनिक प्रशासनिक तकनीकों और प्रणालियों से अवगत कराना है।
  • बेस्ट प्रैक्टिसेज का आदान-प्रदान (Exchange of Best Practices): दोनों देशों के बीच प्रशासनिक सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान, जिससे दोनों पक्षों को लाभ हो सकता है।
  • क्षेत्रीय सहयोग (Regional Cooperation): यह कार्यक्रम क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में स्थिरता और विकास को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हो सकता है।

प्रशिक्षण के प्रमुख क्षेत्र

  • प्रशासनिक सुधार (Administrative Reforms): विभिन्न प्रशासनिक सुधारों और प्रक्रियाओं को समझाना, जो शासन को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बना सकते हैं।
  • डिजिटल गवर्नेंस (Digital Governance): ई-गवर्नेंस और डिजिटल इंडिया की तर्ज पर डिजिटल प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर जोर देना।
  • सार्वजनिक नीति (Public Policy): सार्वजनिक नीति निर्माण और कार्यान्वयन की आधुनिक विधियों की शिक्षा।
  • सतत विकास (Sustainable Development): सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति के लिए योजनाएं और रणनीतियां।
  • आपदा प्रबंधन (Disaster Management): आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया की रणनीतियां।

कार्यक्रम के लाभ:

  • बांग्लादेश के लिए लाभ: बांग्लादेश के प्रशासनिक अधिकारियों को विश्व स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त होगा, जिससे वे अपने देश में बेहतर प्रशासनिक सेवाएं प्रदान कर सकेंगे।
  • भारत के लिए लाभ: भारत अपनी विशेषज्ञता और अनुभव साझा कर अपने पड़ोसी देश के साथ संबंधों को मजबूत कर सकेगा, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
  • द्विपक्षीय संबंध: इस तरह की पहलों से दोनों देशों के बीच विश्वास और मित्रता में वृद्धि होगी, जो दीर्घकालिक सहयोग और विकास के लिए आवश्यक है।

बांग्लादेश के बारे में:

  • बांग्लादेश, भारत का पड़ोसी देश है। 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद इसे पाकिस्तान से आज़ादी मिली।
  • भारत अपनी सबसे लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा, 4097 किमी, बांग्लादेश के साथ साझा करता है।
  • पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम, मेघालय और मिजोरम की सीमा बांग्लादेश से लगती है।
  • बांग्लादेश दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले देशों में से एक है।

निष्कर्ष:

भारत द्वारा बांग्लादेश के प्रशासनिक अधिकारियों को प्रशिक्षित करने की यह पहल न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगी बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और विकास को भी बढ़ावा देगी। यह कार्यक्रम प्रशासनिक क्षमताओं को बढ़ाने और दोनों देशों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन सकता है। इस प्रकार के सहयोग से भारत और बांग्लादेश एक साथ मिलकर अपने नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठा सकते हैं।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

सिविल सेवकों की क्षमता निर्माण में भारत-बांग्लादेश सहयोग के निहितार्थों की विवेचना कीजिए