हमास का तेल अवीव पर रॉकेट हमला

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हमास का तेल अवीव पर रॉकेट हमला

GS-2: अंतरराष्ट्रीय संबंध

स्रोत: TH

27/05/2024

न्यूज़ में क्यों:

हाल ही में, कई महीनों के अंतराल के बाद, पहली बार हमास ने गाजा से रॉकेटों की बौछार शुरू करके तेल अवीव शहर पर हमला किया है जिससे इजराइल में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है।

  • किसी के हताहत होने या क्षति की सूचना नहीं मिली; जनवरी के बाद से गाजा की ओर से यह पहला लंबी दूरी का हमला था।
  • हमास की सैन्य शाखा, एज़ेदीन अल-क़सम ब्रिगेड ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।

तेल अवीव शहर के बारे में:

  • तेल अवीव, इज़राइल का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर, भूमध्यसागरीय तट पर स्थित है।
  • व्हाइट सिटी, जो एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, तेल अवीव में ही स्थित है।
  • यह शहर अपनी बॉहॉस वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें 4,000 से अधिक बॉहॉस-शैली की इमारतें हैं।
  • तेल अवीव एक जीवंत सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र है।

हाइफ़ा बंदरगाह के बारे में:

  • स्थान: हाइफ़ा बंदरगाह उत्तरी इज़राइल में, हाइफ़ा शहर के निकट, भूमध्य सागर तट पर स्थित है।
  • विशेषताएं: यह 1933 में अपने आधिकारिक उद्घाटन के बाद से साल भर चालू रहने वाले प्राकृतिक गहरे पानी के बंदरगाह का दावा करता है।
  • शिपिंग कंटेनरों के लिए इज़राइल में दूसरा सबसे बड़ा बंदरगाह और पर्यटक क्रूज़ जहाजों के लिए सबसे बड़ा बंदरगाह।
  • टर्मिनल: इसमें कार्मेल टर्मिनल, ईस्ट टर्मिनल (इज़राइल का सबसे लंबा कंटेनर टर्मिनल), और केमिकल्स टर्मिनल (रासायनिक परिवहन और भंडारण के लिए इज़राइल में एकमात्र टर्मिनल) शामिल हैं।
  • हालिया विकास: अदानी समूह के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम ने हाल ही में इजरायली सरकार से हाइफ़ा पोर्ट कंपनी का अधिग्रहण किया है।
  • हाइफ़ा बंदरगाह इज़रायल की तीन अंतर्राष्ट्रीय समुद्री यात्राओं में सबसे बड़ा है।

हालिया हमले:

  • अक्टूबर 2023 में, हमास ने दक्षिणी इजरायल में "ऑपरेशन अल-अक्सा स्टॉर्म" के तहत हमला किया था, जिसमें करीब 1,200 लोग मारे गए और दर्जनों लोगों को बंधक बना लिया।
  • जवाब में, इजरायली सेना ने समूह को खत्म करने का प्रयास किया है, एक ऐसा प्रयास जिसने कथित तौर पर अप्रैल 2024 के मध्य तक तैंतीस हज़ार से ज़्यादा फ़िलिस्तीनियों को मार डाला था।

हमास संगठन के बारे में:

  • ‘हमास’ अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है: उत्साह
  • हमास का पूरा नाम है: हरकत अल-मुकावामा अल-इस्लामिया (इस्लामिक प्रतिरोध आन्दोलन)
  • हमास फिलिस्तीन का इस्लामिक चरमपंथी समूह है, जो गाजा पट्टी से अपने ऑपरेशन संचालित करता है
  • दिसंबर 1987 में, गाजा में मुसलिम ब्रदरहुड की राजनीतिक शाखा के रूप में इस संगठन की स्थापना हुई थी
  • इस संगठन का तत्कालीन उद्देश्य: फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद(पीआईजे) का मुकाबला करना था
  • वर्तमान में इस संगठन का प्रमुख है: इस्माइल हनियेह (वर्ष 2017 से)
  • 1988 के चार्टर के तहत इसका लक्ष्य: वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में स्वतंत्र इस्लामी राज्य की स्थापना करना

फंडिंग:

  • हमास को तुर्किये, कतर, सऊदी अरब, ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे देशों से फंडिंग और हथियार मिलते हैं।
  • आतंकी हमलों में हमास की मदद लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह द्वारा की जाती है। 

हमास का पहला हमला:

  • हमास द्वारा पहला आत्मघाती बम विस्फोट 1993 में किया गया था, फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (PLO) के नेता यासर अराफात और इजरायल के प्रधानमंत्री यित्ज़ाक राबिन द्वारा ओस्लो समझौते पर हस्ताक्षर करने से पांच महीने पहले।

आतंकी संगठन घोषित:

  •  1997 में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने हमास को एक विदेशी आतंकी संगठन घोषित किया था।
  • वर्तमान में, हमास गाजा-आधारित, ईरान-प्रायोजित संगठन था जो इजरायल के खिलाफ आतंकवादी अभियान चला रहा है।
  • हमास के क्षेत्रीय साझेदारों को "प्रतिरोध की धुरी" के रूप में जाना जाता है।

आश्रय:

  • वर्तमान में, ईरान हमास के सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक है, जो धन, हथियार और प्रशिक्षण का योगदान देता है।
  • 2021 के अमेरिकी विदेश विभाग के अनुमानों के अनुसार, ईरान हमास, PIJ और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा आतंकवादी संगठनों के रूप में नामित अन्य फ़िलिस्तीनी समूहों को सालाना लगभग 100 मिलियन डॉलर प्रदान करता है।
  • हमास को क्षेत्रीय सहयोगियों के गठबंधन में गिना जाता है जिसमें फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद, लेबनान का हिजबुल्लाह, यमन का हौथी और इराक और सीरिया में विभिन्न तेहरान समर्थक मिलिशिया शामिल हैं।
  • कतर और तुर्की हमास के कुछ शीर्ष नेताओं को शरण देता है, जिन्होंने संगठन की गतिविधियों को वित्तपोषित करने में मदद करने के लिए तुर्की वित्तीय प्रणाली का उपयोग किया है।

हथियार-निर्माण क्षमता:

  • हमास ने ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के प्रशिक्षण  मिसाइल बनाने की क्षमता हासिल की है।

संघर्ष के प्रमुख कारण:

  • राजनीतिक कारण: फिलिस्तीन, वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में स्वतंत्र फिलिस्तीन राष्ट्र की स्थापना करना चाहता है।
  • सांस्कृतिक एवं धार्मिक कारण: मक्का और मदीना के बाद अल-अक्सा मस्जिद तीसरा सबसे पवित्र स्थल है। ये हरम अल-शरीफ (टेम्पल माउंट) के परिसर में बना है। ये दुनिया की दूसरी सबसे पुरानी मस्जिद है। इस मस्जिद में 4 लाख लोग एक साथ प्रार्थना कर सकते हैं। यह मस्जिद हमेशा से विवादित रही है, क्योंकि यहूदी लोग इसे अपना मंदिर होने का दावा करते हैं।

संघर्ष का प्रभाव:

वैश्विक

  • पश्चिम एशिया की राजनीति में अस्थिरता उत्पन्न होने से वहाँ की आम जनता को बलात्कार, चोरी, भुखमरी और हत्या जैसी जघन्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
  • पश्चिम एशियाई क्षेत्र में हिंसक गतिविधियाँ अत्यधिक बढ़ रही हैं और इससे भविष्य में नए आतंकवादी संगठनों के बनने की आशंका बढ़ रही है।
  • पश्चिम एशियाई क्षेत्र में शरणार्थियों का संकट भी उत्पन्न हुआ है। इस शरणार्थी संकट से ये दोनों देश ही नहीं, बल्कि आस पास के अन्य देश भी दुष्प्रभावित हुए हैं।
  • यह संघर्ष न केवल मानव अधिकारों के उल्लंघन को इंगित करता है, बल्कि यह बेरोजगारी, सामाजिक अस्थिरता इत्यादि को भी बढ़ावा दे रहा है।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस हिंसक संघर्ष के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबाजी बढ़ने की आशंका बढ़ रही है।
  • इस संघर्ष को रोकने में अंतरराष्ट्रीय संगठन जैसे संयुक्त राष्ट्र संगठन और आईएमएफ निष्प्रभावी साबित हो रहे हैं।

भारत 

  • वर्तमान में इजरायल के लिए भारत एशिया में तीसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। भारत और इजरायल के बीच केवल राजनैतिक संबंध ही अच्छे नहीं है, बल्कि दोनों के व्यापारिक संबंध भी काफी मजबूत है। दीर्घकालिक युद्ध की स्थिति में इजरायल-फिलिस्तीन के बीच जारी युद्ध का नकारात्मक प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पड़ सकता है।

निवेश:

  • इजरायल की कंपनियों का भारत में कई गुना निवेश है। इजरायल में भारतीय कारोबारियों ने बड़े निवेश कर रखे हैं। कभी भारतीय कंपनियां इजरायल में कारोबार करती है। भारत के दिग्गज कारोबारी गौतम अडानी का वहां बड़ा निवेश है। इजरायल के सबसे बड़े पोर्ट हाइफा पोर्ट को लेकर अडानी पोर्ट और गडोट के बीच 1.18 अरब डॉलर की डील हुई है।

आयात-निर्यात:

  • भारत के साथ इजरायल का व्यापार 10 बिलियन डॉलर से भी अधिक का है। निर्यात 8.5 बिलियन डॉलर का तो आयात 2.3 बिलियन डॉलर है।
  • भारत इजरायल से मोती, हीरे-ज्वैलरी, फर्टिलाइजर्स, इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट और क्रूड ऑयल खरीदता है। वहीं भारत हीरे, ज्लैवरी, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग बेचता है। भारत का आयात-निर्यात प्रभावित होगा।

कच्चे तेल की आपूर्ति:

  • इस युद्ध का सबसे बड़ा प्रभाव कच्चे तेल (Crude Oil) की आपूर्ति पर पड़ सकता है। कच्चे तेल की सप्लाई बाधित होने से और देश में तेल के दाम बढ़ने लगेंगे।
  • इजराइल से हथियार खरीदने वाले देशों में सबसे बड़ा खरीदार भारत है।

आगे की राह:

  • इजरायल और फिलिस्तीन को विश्व के प्रमुख देशों के साथ मिलकर इस समस्या के समाधान हेतु उचित कदम उठाने चाहिए।
  • विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के मानवाधिकार की रक्षा करने और उन्हें एक बेहतर जीवन प्रदान करने के लिए इस संघर्ष को रोकने के प्रयास करने चाहिए।
  • विश्व की विभिन्न बड़ी शक्तियों को इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने से बचना चाहिए क्योंकि ऐसे मुद्दों पर राजनीति करने से अंतिम रूप से मानवता का ही नाश होता है।
  • इजरायल और फिलिस्तीन को यह समझना चाहिए कि हिंसा और आतंकवाद किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकते हैं। इस संघर्ष से संबंधित सभी पक्षों को यह ध्यान रखना चाहिए कि विश्व की जटिल से जटिल समस्याओं का समाधान भी शांति वार्ता के माध्यम से निकाला जा सकता है, इसलिए दोनों पक्षों को बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए शांतिपूर्ण समाधान की तरफ आगे बढ़ना चाहिए।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

इजराइल-हमास संघर्ष के विभिन्न पहुलुओं को उजागर करते हुए इसके समाधान हेतु आगे की राह पर चर्चा कीजिए।